7th pay commission: उत्तर प्रदेश सरकार अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्यों के वेतन में बदलाव की योजना बना रही है। शासन स्तर पर इस प्रस्ताव पर गंभीर विचार-विमर्श जारी है। योजना के अनुसार, वर्तमान सदस्यों के वेतन में वृद्धि के साथ-साथ सेवानिवृत्त सदस्यों को सातवें वेतन आयोग के अनुरूप पेंशन देने का प्रस्ताव है। आइए जानते हैं इस प्रस्ताव के बारे में विस्तार से।
वेतन में असमानता की स्थिति
वर्तमान में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्यों को लगभग 1.48 लाख रुपये मासिक वेतन दिया जाता है। इसके विपरीत, लोक सेवा आयोग के सदस्यों का वेतन सवा दो लाख रुपये के आसपास है। यह अंतर लगभग 75 हजार रुपये का है, जो काफी महत्वपूर्ण है। इसी वेतन विसंगति को दूर करने के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्य अपने वेतन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
वेतन में यह अंतर दोनों आयोगों के बीच एक असमानता पैदा करता है, जबकि दोनों ही महत्वपूर्ण चयन प्रक्रियाओं में शामिल हैं। इसलिए, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्य चाहते हैं कि उनके वेतन को भी लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान या उसके करीब लाया जाए।
आयोग का प्रयास
इस मामले में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पहले से ही सक्रिय रहा है। आयोग ने शासन के समक्ष कई बार वेतन वृद्धि का अनुरोध प्रस्तुत किया है। उनका तर्क है कि वे भी राज्य सरकार के अधीन एक महत्वपूर्ण चयन संस्था के रूप में कार्य करते हैं और उनकी जिम्मेदारियां भी कम नहीं हैं।
आयोग के सदस्यों का मानना है कि उनके वेतन को लोक सेवा आयोग के सदस्यों के वेतन के समकक्ष लाना उचित होगा। इससे न केवल सदस्यों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि यह उनके काम के महत्व को भी मान्यता देगा। इस प्रकार की वेतन वृद्धि से आयोग में बेहतर योग्यता और अनुभव वाले लोगों को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।
सरकार का दृष्टिकोण
राज्य सरकार इस प्रस्ताव को गंभीरता से विचार कर रही है। शासन स्तर पर इस मुद्दे पर विस्तृत मंथन चल रहा है। सरकार समझती है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग राज्य के विभिन्न विभागों में नियुक्तियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, आयोग के सदस्यों के वेतन और पेंशन में सुधार जरूरी है।
हालांकि, ऐसे किसी भी निर्णय को लेने से पहले सरकार को वित्तीय प्रभावों पर भी विचार करना होगा। वेतन वृद्धि का राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिसके लिए बजट आवंटन में बदलाव की आवश्यकता होगी। इसीलिए शासन स्तर पर गहन विश्लेषण किया जा रहा है।
सातवें वेतन आयोग के अनुरूप पेंशन
प्रस्ताव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह भी है कि सेवानिवृत्त सदस्यों को सातवें वेतन आयोग के अनुरूप पेंशन दी जाए। वर्तमान में, सेवानिवृत्त सदस्यों को मिलने वाली पेंशन पुराने वेतनमान पर आधारित है, जिससे उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सातवें वेतन आयोग के अनुसार पेंशन देने से सेवानिवृत्त सदस्यों को भी लाभ होगा और वे सम्मानजनक जीवनयापन कर सकेंगे। यह कदम सेवारत सदस्यों के लिए भी प्रोत्साहन का काम करेगा, क्योंकि उन्हें भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का आश्वासन मिलेगा।
आगे की प्रक्रिया
अभी प्रस्ताव विचाराधीन है और इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले कई स्तरों पर चर्चा होनी बाकी है। शासन स्तर पर सहमति बनने के बाद, प्रस्ताव को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद ही इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकेगा।
राज्य सरकार के इस कदम से न केवल अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्यों के वेतन और पेंशन में सुधार होगा, बल्कि यह आयोग के कामकाज और प्रतिष्ठा को भी बढ़ावा देगा। इससे चयन प्रक्रिया की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।