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1 करोड़ कर्मचारियों की उम्मीद के मुताबिक सैलरी में बढ़ोतरी नहीं होगी जानें वजह! 8th Pay Commission

By Meera Sharma

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8th Pay Commission

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया में तेजी ला दी है और इस संबंध में हाल ही में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने इस संदर्भ में दो महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किए हैं जिनके अंतर्गत वेतन आयोग के लिए 40 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है। इन पदों पर विभिन्न सरकारी विभागों से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति की जाएगी। यह कदम दर्शाता है कि सरकार वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों को लेकर गंभीर है।

वेतन आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सिफारिशों के आधार पर ही उनके वेतन और भत्तों में संशोधन किया जाता है। 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया शुरू होने से देश के 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनधारकों में उत्साह का संचार हुआ है। वे इस आयोग की सिफारिशों से अपने वेतन और पेंशन में होने वाली वृद्धि के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।

कर्मचारियों के मन में फिटमेंट फैक्टर को लेकर सवाल

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केंद्रीय कर्मचारियों के बीच 8वें वेतन आयोग को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर कितना होगा और इसके आधार पर उनकी सैलरी में कितनी वृद्धि होगी। पिछले वेतन आयोगों के अनुभव के आधार पर कर्मचारी इस बार फिटमेंट फैक्टर पर विशेष ध्यान दे रहे हैं क्योंकि यह उनकी वेतन वृद्धि का प्रमुख निर्धारक होता है। हर कर्मचारी चाहता है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर ऐसा हो जिससे उनकी सैलरी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।

वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही फिटमेंट फैक्टर और वास्तविक वेतन वृद्धि को लेकर विभिन्न अनुमान लगाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फिटमेंट फैक्टर का निर्धारण सरकार की वित्तीय स्थिति, मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और कर्मचारियों की जरूरतों के आधार पर किया जाएगा। इसलिए कर्मचारी इस बार फिटमेंट फैक्टर से अधिक वास्तविक वेतन वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

फिटमेंट फैक्टर का महत्व और इसका प्रभाव

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फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है जिसका उपयोग नए वेतन आयोग में कर्मचारियों की नई बेसिक सैलरी निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह वेतन वृद्धि का एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इसके आधार पर ही नए वेतनमान का निर्धारण होता है। फिटमेंट फैक्टर की गणना वर्तमान बेसिक सैलरी को फिटमेंट फैक्टर से गुणा करके की जाती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 निर्धारित किया जाता है, तो उसकी नई बेसिक सैलरी 51,480 रुपये (18,000 × 2.86) हो जाएगी।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फिटमेंट फैक्टर का अधिक होना हमेशा वास्तविक वेतन वृद्धि का संकेत नहीं होता। 7वें वेतन आयोग में देखा गया था कि फिटमेंट फैक्टर 2.57 होने के बावजूद वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 14.2% ही थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि फिटमेंट फैक्टर का अधिकांश हिस्सा महंगाई भत्ते (DA) को समायोजित करने में उपयोग किया गया था। इसलिए, फिटमेंट फैक्टर की संख्या से अधिक महत्वपूर्ण है कि इसमें वास्तविक वेतन वृद्धि का हिस्सा कितना है।

पिछले वेतन आयोगों से सीख

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6वें और 7वें वेतन आयोग के अनुभवों से मिली सीख इस बार कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है। 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों के वेतन में औसतन 54% की वृद्धि हुई थी। यह अब तक की सबसे अधिक वास्तविक वेतन वृद्धि थी। इसके विपरीत, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 2.57 हो गया था, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 14.2% ही रह गई थी।

7वें वेतन आयोग के समय, वर्तमान वेतन के साथ 125% महंगाई भत्ता जोड़ा गया था, जिससे फिटमेंट फैक्टर में से 2.25 हिस्सा पहले से ही महंगाई भत्ते के रूप में मिल रहा था। इसलिए, फिटमेंट फैक्टर 2.57 में से केवल 0.32 हिस्सा ही वास्तविक वेतन वृद्धि था, जो कुल मिलाकर मात्र 14.2% की वृद्धि थी। इस अनुभव से सीखते हुए, कर्मचारी इस बार चाहते हैं कि फिटमेंट फैक्टर इस प्रकार निर्धारित किया जाए जिससे वास्तविक वेतन वृद्धि अधिक हो।

8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर की संभावनाएं

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8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लेकर विभिन्न अनुमान लगाए जा रहे हैं। कर्मचारी संगठन फिटमेंट फैक्टर 2.86 की मांग कर रहे हैं, जिससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो जाएगा। उनका मानना है कि इतना फिटमेंट फैक्टर वर्तमान महंगाई और जीवन स्तर को देखते हुए उचित है। इससे वेतन और पेंशन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे कर्मचारियों का जीवन स्तर सुधरेगा।

हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का मानना है कि इतनी बड़ी वृद्धि व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। उनके अनुसार, फिटमेंट फैक्टर लगभग 1.92 के आसपास रह सकता है। अगर ऐसा होता है, तो न्यूनतम बेसिक वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 34,560 रुपये हो जाएगा, जो वर्तमान न्यूनतम वेतन से 92% अधिक होगा। यह अनुमान सरकार की वित्तीय स्थिति और अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर लगाया गया है।

8वें वेतन आयोग की वर्तमान स्थिति और तैयारियां

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8वें वेतन आयोग की तैयारियों के तहत, केंद्र सरकार ने 40 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की है। इन पदों पर विभिन्न विभागों से प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो आयोग के कार्य में सहायता करेंगे। इसके बाद, टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) जारी किया जाएगा, जिसमें आयोग के कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियों का विस्तृत विवरण होगा। टर्म ऑफ रेफरेंस जारी होने के बाद, आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी।

आयोग के गठन के बाद यह विभिन्न पहलुओं जैसे वेतन, भत्ते, पेंशन, सेवा शर्तों आदि पर अपनी सिफारिशें देगा। इन सिफारिशों को सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए नए वेतनमान और भत्ते लागू होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है।

सरकार पर वित्तीय बोझ और बजट प्रभाव

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7वें वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा था। इसमें से 73,650 करोड़ रुपये केंद्रीय बजट पर और 28,450 करोड़ रुपये रेलवे के बजट पर पड़े थे। 8वें वेतन आयोग में, अगर फिटमेंट फैक्टर अधिक रखा जाता है, तो यह वित्तीय बोझ और भी अधिक हो सकता है, जिससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ सकता है।

इस वित्तीय बोझ को देखते हुए, सरकार 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन में काफी सतर्कता बरत सकती है। सरकार को एक ऐसे समाधान की तलाश होगी जो कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए भी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करे। इसलिए, फिटमेंट फैक्टर का निर्धारण एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर सरकार सावधानीपूर्वक विचार करेगी।

केंद्रीय कर्मचारियों की अपेक्षाएं और उम्मीदें

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8वें वेतन आयोग से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की अपेक्षाएं बहुत अधिक हैं। वे चाहते हैं कि इस बार फिटमेंट फैक्टर ऐसा हो जिससे वास्तविक वेतन वृद्धि अधिक हो और उनका जीवन स्तर सुधर सके। विशेष रूप से, उन्हें उम्मीद है कि इस बार महंगाई भत्ते (DA) का समायोजन इस प्रकार किया जाएगा कि वास्तविक वेतन वृद्धि भी उल्लेखनीय हो।

केंद्रीय कर्मचारी यह भी चाहते हैं कि 8वां वेतन आयोग अन्य भत्तों जैसे मकान किराया भत्ता (HRA), परिवहन भत्ता, और शिक्षा भत्ता में भी सुधार करे। इसके अलावा, पेंशन में भी ऐसे सुधार हों जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जीवन आसान हो सके। कर्मचारियों को उम्मीद है कि 8वां वेतन आयोग उनकी इन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा और ऐसी सिफारिशें देगा जो उनके हितों की रक्षा करेंगी।

8वां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए आशा और प्रतीक्षा का समय है। आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों से न केवल वेतन और भत्तों में वृद्धि होगी, बल्कि सेवा शर्तों और कार्य वातावरण में भी सुधार हो सकता है। फिटमेंट फैक्टर चाहे जो भी हो, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इससे कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार हो और उन्हें उनके परिश्रम का उचित मूल्य मिले।

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आयोग के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है और उम्मीद है कि जल्द ही इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हो जाएगी। इसके बाद, आयोग विभिन्न पहलुओं पर अपना अध्ययन और विश्लेषण शुरू करेगा। कर्मचारियों को यह समझना होगा कि आयोग की सिफारिशें सरकार की वित्तीय स्थिति, अर्थव्यवस्था की हालत, और कर्मचारियों की जरूरतों के बीच एक संतुलन स्थापित करेंगी। इस प्रकार, 2026 की शुरुआत में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए अच्छे दिन आने की उम्मीद है।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई है। 8वें वेतन आयोग के संबंध में अंतिम निर्णय और सिफारिशें सरकार द्वारा किए जाएंगे, और वास्तविक परिणाम इस लेख में प्रस्तुत अनुमानों और विश्लेषणों से भिन्न हो सकते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले सरकारी अधिसूचनाओं और आधिकारिक घोषणाओं का संदर्भ लें। लेखक और प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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