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बैंक चेक के पीछे साइन करना कब होता है जरूरी, बैंक ग्राहक जान लें नियम Bank Cheque Rule

By Meera Sharma

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Bank Cheque Rule

Bank Cheque Rule: बैंकिंग व्यवस्था में चेक एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपकरण है, जिसका उपयोग लोग रोजाना लेनदेन के लिए करते हैं। चेक एक लिखित वित्तीय साधन है जो बैंक को किसी खाते से निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने का आदेश देता है। इसका उपयोग नकद निकासी या दो पक्षों के बीच सुरक्षित लेनदेन के लिए एक गारंटी के रूप में किया जाता है। बैंक इसे सुविधाजनक और सुरक्षित मानते हैं, लेकिन चेक से जुड़े नियमों की सही जानकारी हर खाताधारक के लिए ज़रूरी है, ताकि वे किसी वित्तीय धोखाधड़ी या नुकसान से बच सकें। आज हम चेक पर हस्ताक्षर करने, विशेष रूप से चेक के पीछे हस्ताक्षर करने से जुड़े नियमों और जोखिमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

चेक के प्रकार

बैंकिंग प्रणाली में मुख्य रूप से दो प्रकार के चेक का उपयोग किया जाता है – बियरर चेक और क्रॉस्ड चेक। बियरर चेक (Bearer Cheque) वह चेक होता है जिस पर “या वाहक” शब्द लिखा होता है, और इसे कोई भी व्यक्ति बैंक में जाकर भुना सकता है। इस चेक में प्राप्तकर्ता का नाम नहीं होता है, इसलिए इसे प्रस्तुत करने वाला कोई भी व्यक्ति इससे पैसे निकाल सकता है। दूसरी ओर, क्रॉस्ड चेक वह होता है जिस पर दो समानांतर रेखाएँ खींची होती हैं और इसे केवल बैंक खाते में ही जमा किया जा सकता है, नकद भुगतान नहीं किया जा सकता। क्रॉस्ड चेक अधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसे सिर्फ नामित व्यक्ति के खाते में ही जमा किया जा सकता है।

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चेक के पीछे हस्ताक्षर का महत्व और जोखिम

चेक पर हस्ताक्षर का बैंकिंग में विशेष अर्थ होता है, विशेष रूप से चेक के पीछे किए गए हस्ताक्षर का। सभी तरह के चेक पर पीछे साइन नहीं किया जाता है। सिर्फ बियरर चेक (Bearer Cheque) पर ही पीछे के तरफ साइन किया जाता है। चेक के पीछे हस्ताक्षर करने का अर्थ होता है कि आप उस चेक को एंडोर्स कर रहे हैं, यानी आप चेक पर लिखी राशि को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित कर रहे हैं। जब आप चेक के पीछे हस्ताक्षर करके किसी व्यक्ति को देते हैं, तो वह व्यक्ति उस चेक को भुना सकता है या अपने खाते में जमा कर सकता है। इस प्रक्रिया में वित्तीय जोखिम होता है, क्योंकि आपके हस्ताक्षर के साथ चेक किसी के भी हाथ में जा सकता है।

बियरर चेक से जुड़े जोखिम

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बियरर चेक का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इससे जुड़े कई जोखिम हैं। बियरर चेक वह चेक होता है जिसे बैंक में जाकर जमा कराया जाता है और उसमें किसी व्यक्ति का नाम नहीं होता है। उस चेक की मदद से कोई भी व्यक्ति बैंक से नकद धनराशि निकाल सकता है। बैंक बियरर चेक को सहमति से जारी किया गया लेनदेन (Transaction) मान लेता है। नियम के मुताबिक, इस तरह के चेक से हुए धोखाधड़ी (Fraud) की जिम्मेदारी बैंक की नहीं होती है, बल्कि चेक जारी करने वाले की होती है। इसलिए, जब भी आप बियरर चेक जारी करें, तो सुनिश्चित करें कि आप उसे केवल विश्वसनीय व्यक्ति को ही दें और चेक की राशि सही ढंग से लिखी गई हो।

चेक के पीछे हस्ताक्षर करते समय सावधानियां

चेक के पीछे हस्ताक्षर करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि आप वित्तीय जोखिम से बच सकें। सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप केवल विश्वसनीय व्यक्तियों को ही अपने हस्ताक्षर किए हुए चेक दें। दूसरी महत्वपूर्ण बात, अगर आप चेक के पीछे हस्ताक्षर कर रहे हैं, तो निर्दिष्ट रूप से लिखें कि चेक किसके लिए एंडोर्स किया जा रहा है, जैसे “केवल (व्यक्ति का नाम) के लिए” या “फॉर अकाउंट पेई ओनली”। इससे चेक का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा। तीसरी सावधानी, कभी भी खाली चेक पर हस्ताक्षर न करें, चाहे वह चेक के सामने हो या पीछे। हमेशा पूरी जानकारी भरने के बाद ही हस्ताक्षर करें।

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क्रॉस्ड चेक का उपयोग

अगर आप चेक के माध्यम से भुगतान करना चाहते हैं और अधिक सुरक्षित तरीका अपनाना चाहते हैं, तो क्रॉस्ड चेक का उपयोग कर सकते हैं। क्रॉस्ड चेक बनाने के लिए, चेक के ऊपरी बाएं कोने में दो समानांतर रेखाएं खींचें और उनके बीच “एकाउंट पेई” लिखें। इससे चेक केवल बैंक खाते में ही जमा किया जा सकता है और नकद भुगतान नहीं किया जा सकता। आप अपने क्रॉस्ड चेक को और भी सुरक्षित बना सकते हैं अगर आप दो रेखाओं के बीच “नॉट नेगोशिएबल” या “ए/सी पेई ओनली” लिखते हैं। इससे चेक का भुगतान केवल उस व्यक्ति के खाते में ही जमा किया जा सकता है जिसका नाम चेक पर लिखा है, जिससे धोखाधड़ी का जोखिम कम हो जाता है।

चेक से जुड़े महत्वपूर्ण नियम

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चेक के उपयोग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जिनकी जानकारी हर खाताधारक को होनी चाहिए। चेक चालू या बचत खाते के लिए जारी किया जा सकता है। बिना तारीख वाला चेक अमान्य माना जाता है, इसलिए हमेशा चेक पर सही तारीख लिखें। केवल चेक पर नामित भुगतानकर्ता ही इसे भुना सकता है, इसलिए प्राप्तकर्ता का नाम ठीक से लिखना सुनिश्चित करें। चेक की राशि शब्दों और अंकों दोनों में लिखी होनी चाहिए और दोनों राशि में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। एक बैंक चेक जारी होने की तारीख से तीन महीने के लिए वैध होता है, इसके बाद यह अमान्य हो जाता है।

चेक की पहचान और सुरक्षा विशेषताएं

हर चेक में कुछ विशेष सुरक्षा विशेषताएं होती हैं जिन्हें समझना महत्वपूर्ण है। चेक के निचले भाग में 9 अंकों का एमआईसीआर (MICR) कोड होता है जो चेक क्लीयरेंस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है। यह कोड बैंक की शाखा, शहर और खाता संख्या की जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा, चेक में वॉटरमार्क, अदृश्य स्याही और माइक्रोप्रिंटिंग जैसी सुरक्षा विशेषताएं भी होती हैं जो नकली चेक बनाने को मुश्किल बनाती हैं। चेक पर हस्ताक्षर करते समय, हमेशा उसी हस्ताक्षर का उपयोग करें जो आपने बैंक में पंजीकृत किया है और बिना ओवरराइटिंग (Overwriting) के चेक पर हस्ताक्षर करें।

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डिजिटल भुगतान का विकल्प

आज के डिजिटल युग में, चेक के अलावा कई अन्य सुरक्षित भुगतान विकल्प उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप कर सकते हैं। ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, UPI, NEFT, RTGS और IMPS जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियां न केवल सुरक्षित हैं बल्कि तेज़ और सुविधाजनक भी हैं। इन विकल्पों का उपयोग करके, आप चेक से जुड़े जोखिमों से बच सकते हैं और अपने वित्तीय लेनदेन को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं। हालांकि, चेक अभी भी कई स्थितियों में उपयोगी है, विशेष रूप से जब आपको भुगतान का प्रमाण देना हो या बड़ी राशि का लेनदेन करना हो। ऐसी स्थितियों में, ऊपर बताई गई सावधानियों का पालन करके आप चेक का सुरक्षित उपयोग कर सकते हैं।

चेक बाउंस होने पर कानूनी प्रावधान

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चेक बाउंस होना एक गंभीर मामला है जिसमें कानूनी परिणाम हो सकते हैं। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के अनुसार, यदि कोई चेक अपर्याप्त फंड्स के कारण बाउंस होता है, तो चेक जारी करने वाले पर मुकदमा दायर किया जा सकता है और उसे जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है। इसलिए, कभी भी ऐसा चेक जारी न करें जिसमें आपके खाते में पर्याप्त राशि न हो। साथ ही, अगर आपने किसी को चेक दिया है और आपके खाते में पैसे नहीं हैं, तो जल्द से जल्द अपने खाते में पर्याप्त राशि जमा करें ताकि चेक बाउंस न हो। चेक बाउंस होने पर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री भी प्रभावित हो सकती है, जिससे भविष्य में लोन लेने में कठिनाई हो सकती है।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया गया है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। चेक से संबंधित नियम और विनियम बैंक और क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले, अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना सुनिश्चित करें। लेख में दी गई जानकारी के आधार पर की गई किसी भी कार्रवाई के परिणामों के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। हमेशा अपने बैंक से नवीनतम नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें, क्योंकि बैंकिंग नियम समय-समय पर बदल सकते हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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