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चेक बाउंस के मामले में कितनी होती है सजा, क्या पैसे चुकाने से चल जाएगा काम, जानिए नियम cheque bounce case

By Meera Sharma

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cheque bounce case

cheque bounce case: आज के डिजिटल युग में भले ही अधिकांश लेन-देन ऑनलाइन माध्यम से हो रहे हों, लेकिन बड़ी राशि के भुगतान के लिए अभी भी कई लोग चेक का उपयोग करना पसंद करते हैं। चेक एक ऐसा वित्तीय साधन है, जिससे बिना नकद के भुगतान किया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेक बाउंस होने पर गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं? हां, चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए जेल जाना पड़ सकता है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि चेक बाउंस क्या है, इसके कानूनी पहलू क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

चेक बाउंस क्या होता है?

चेक बाउंस तब होता है जब कोई व्यक्ति (देनदार) किसी दूसरे व्यक्ति (लेनदार) को भुगतान के लिए चेक देता है और जब लेनदार उस चेक को बैंक में जमा कराता है, तो वह किसी कारण से अस्वीकृत हो जाता है। चेक बाउंस के कई कारण हो सकते हैं, जैसे खाते में पर्याप्त राशि न होना, चेक पर गलत हस्ताक्षर होना, चेक का फटा हुआ या खराब होना, या चेक पर दी गई जानकारी में कोई त्रुटि होना। जब चेक बाउंस होता है, तो बैंक लेनदार को एक रसीद देता है, जिसमें चेक अस्वीकृत होने का कारण दर्ज होता है। यह रसीद आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में काम आती है।

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चेक बाउंस के कानूनी प्रावधान

भारत में चेक बाउंस के मामलों को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत संचालित किया जाता है। इस कानून के अनुसार, चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है। अगर कोई व्यक्ति चेक जारी करता है और वह चेक किसी कारण से बाउंस हो जाता है, तो उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। धारा 138 के तहत, दोषी व्यक्ति को दो साल तक की जेल हो सकती है, या चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना हो सकता है, या फिर दोनों सजाएं एक साथ भी दी जा सकती हैं। यह सजा चेक बाउंस की गंभीरता और मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

चेक बाउंस होने पर क्या करें?

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अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले लेनदार को देनदार को इस बारे में सूचित करना चाहिए। सूचना मिलने के बाद, देनदार के पास अपना बकाया चुकाने के लिए 30 दिन का समय होता है। अगर 30 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो लेनदार देनदार को एक कानूनी नोटिस भेज सकता है। इस नोटिस में चेक की राशि और चेक बाउंस होने की तारीख का उल्लेख होना चाहिए। नोटिस मिलने के बाद, देनदार के पास अपना पक्ष रखने या बकाया राशि चुकाने के लिए 15 दिन का समय होता है। अगर इस अवधि में भी भुगतान नहीं होता है, तो लेनदार चेक जारी करने वाले के खिलाफ अदालत में शिकायत दर्ज करा सकता है।

चेक बाउंस के मामले में पेनाल्टी

जब कोई चेक बाउंस होता है, तो सबसे पहले बैंक पेनाल्टी लगाती है। यह पेनाल्टी बैंक के नियमों के अनुसार अलग-अलग हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह राशि कुछ सौ रुपये से लेकर हजार रुपये तक हो सकती है। यह पेनाल्टी चेक जारी करने वाले के खाते से काट ली जाती है। इसके अलावा, अगर मामला कोर्ट में जाता है और व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उसे चेक की राशि के अलावा ब्याज और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। कोर्ट के निर्णय के अनुसार, इस जुर्माने की राशि चेक की मूल राशि के दोगुने तक हो सकती है।

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चेक की वैधता और समय सीमा

एक चेक की वैधता उसके जारी होने की तारीख से तीन महीने तक होती है। इसका मतलब है कि चेक जारी होने के बाद, उसे तीन महीने के भीतर बैंक में जमा कराना चाहिए। अगर इस अवधि के बाद चेक बैंक में जमा कराया जाता है, तो बैंक उसे अस्वीकृत कर सकता है। इसके अलावा, अगर चेक बाउंस होता है, तो लेनदार को चेक बाउंस की तारीख से 30 दिनों के भीतर देनदार को नोटिस भेजना चाहिए। इसके बाद, अगर देनदार 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता है, तो लेनदार को नोटिस भेजने के 30 दिनों के भीतर अदालत में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।

चेक बाउंस से बचने के उपाय

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चेक बाउंस से बचने के लिए, चेक जारी करने वाले व्यक्ति को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले, चेक जारी करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके बैंक खाते में पर्याप्त राशि है। दूसरा, चेक पर अपने हस्ताक्षर सही तरीके से करें, ताकि वे बैंक के रिकॉर्ड में मौजूद आपके हस्ताक्षर से मेल खाएं। तीसरा, चेक पर सभी विवरण सही और स्पष्ट लिखें, जैसे राशि (अंकों और शब्दों में), तारीख, और प्राप्तकर्ता का नाम। चौथा, अगर आप जानते हैं कि आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है, तो चेक जारी न करें या फिर चेक जारी करने से पहले अपने खाते में पर्याप्त राशि जमा करा दें।

सावधानियां रखें चेक लेते समय

जैसे चेक जारी करने वाले को सावधानी बरतनी चाहिए, वैसे ही चेक प्राप्त करने वाले को भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, चेक प्राप्त करते समय यह सुनिश्चित करें कि चेक पर सभी विवरण सही और स्पष्ट हैं। दूसरा, चेक को जल्द से जल्द बैंक में जमा कराएं, ताकि अगर कोई समस्या हो तो उसे समय रहते हल किया जा सके। तीसरा, अगर चेक बाउंस होता है, तो तुरंत देनदार को सूचित करें और कानूनी प्रक्रिया शुरू करें। चौथा, सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों और रसीदों को सुरक्षित रखें, क्योंकि वे आगे की कानूनी कार्रवाई में उपयोगी हो सकते हैं।

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चेक बाउंस के बदलते प्रावधान

समय के साथ-साथ, चेक बाउंस के कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव आए हैं। पहले, चेक बाउंस के मामले में अदालतें अक्सर देनदार के पक्ष में निर्णय देती थीं, लेकिन अब कानून अधिक सख्त हो गया है। नए प्रावधानों के तहत, अगर कोई व्यक्ति बार-बार चेक बाउंस के मामलों में शामिल पाया जाता है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जा सकती है। इसके अलावा, पहले चेक बाउंस के मामलों में समझौता करना मुश्किल था, लेकिन अब अदालतें ऐसे मामलों में समझौते को प्रोत्साहित करती हैं, ताकि दोनों पक्षों का समय और पैसा बचे।

चेक बाउंस एक गंभीर वित्तीय और कानूनी मुद्दा है, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान होता है। देनदार को कानूनी परेशानियों और संभावित जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है, जबकि लेनदार को अपने पैसे वसूलने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। इसलिए, सभी वित्तीय लेन-देन में ईमानदारी और जिम्मेदारी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप चेक जारी कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त राशि है, और अगर आप चेक प्राप्त कर रहे हैं, तो उसे जल्द से जल्द बैंक में जमा कराएं। याद रखें, वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता आर्थिक सुरक्षा और विश्वास की नींव हैं।

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Disclaimer

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। चेक बाउंस से जुड़े कानूनी मामलों में प्रत्येक मामले की अपनी विशेष परिस्थितियां होती हैं। किसी भी विशिष्ट मामले के लिए, कृपया एक योग्य वकील से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय या कार्रवाई के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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