Advertisement

कम सिबिल स्कोर के कारण बैंक नहीं दे रहा लोन, इस तरीके से मिल जाएगा पैसा CIBIL Score

By Meera Sharma

Published On:

CIBIL Score

CIBIL Score: सिबिल स्कोर एक तीन अंकों का नंबर है जो 300 से 900 के बीच होता है और यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। यह स्कोर आपकी वित्तीय साख का एक महत्वपूर्ण मापदंड है जिसके आधार पर बैंक और वित्तीय संस्थाएं आपकी लोन योग्यता का फैसला करती हैं। 750 से ऊपर का स्कोर उत्कृष्ट माना जाता है, 650-750 अच्छा, 550-649 औसत और 550 से नीचे खराब माना जाता है। एक अच्छा सिबिल स्कोर न केवल आसानी से लोन दिलाता है बल्कि बेहतर ब्याज दरें भी प्रदान करता है। वहीं खराब स्कोर के कारण लोन मिलने में कठिनाई होती है और अधिक ब्याज दर का सामना करना पड़ सकता है।

खराब सिबिल स्कोर के कारण

खराब सिबिल स्कोर के कई कारण हो सकते हैं जिनमें क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि का समय पर भुगतान न करना सबसे प्रमुख है। इसके अलावा, EMI चूकना, लोन की किस्तों में देरी करना, क्रेडिट कार्ड की सीमा से अधिक खर्च करना, कई बैंकों में एक साथ लोन के लिए आवेदन देना और पुराने लोन अकाउंट को बंद न करना भी स्कोर खराब करने के कारक हैं। कभी-कभी बैंक की गलती या डेटा एंट्री की त्रुटि के कारण भी स्कोर प्रभावित हो सकता है। इसके अतिरिक्त, किसी और के लोन की गारंटी देना और उस व्यक्ति द्वारा डिफॉल्ट करना भी आपके स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है।

यह भी पढ़े:
CIBIL Score सिबिल स्कोर से जुड़ी ये 10 जरूरी बातें होनी चाहिए पता, फिर बैंकों के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर CIBIL Score

ज्वाइंट लोन

खराब सिबिल स्कोर वाले व्यक्तियों के लिए ज्वाइंट लोन एक बहुत ही प्रभावी समाधान है। इसमें आप अपने जीवनसाथी, माता-पिता या किसी भी करीबी रिश्तेदार के साथ मिलकर लोन के लिए आवेदन दे सकते हैं, जिसका सिबिल स्कोर अच्छा हो। बैंक दोनों आवेदकों के स्कोर और आय को मिलाकर देखता है, जिससे लोन अप्रूवल की संभावना काफी बढ़ जाती है। इस व्यवस्था में दोनों व्यक्ति समान रूप से लोन के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन मुख्य आवेदक के रूप में अच्छे स्कोर वाले व्यक्ति को रखना बेहतर होता है। ज्वाइंट लोन में आमतौर पर बेहतर ब्याज दरें भी मिलती हैं और लोन की राशि भी अधिक हो सकती है।

सिक्योर्ड लोन

यह भी पढ़े:
Toll Tax New System पूरे देश से हटाए जाएंगे टोल प्लाजा, 15 दिन में लागू होगी नई टोल नीति Toll Tax New System

सिक्योर्ड लोन खराब सिबिल स्कोर वाले लोगों के लिए एक और बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसमें कोई न कोई संपत्ति गिरवी रखी जाती है। गोल्ड लोन सबसे लोकप्रिय सिक्योर्ड लोन है जिसके लिए किसी भी बैंक या फाइनेंशियल संस्थान में आपका सिबिल स्कोर बाधा नहीं बनता। सोने के अलावा, फिक्स डिपॉजिट, इंश्योरेंस पॉलिसी, शेयर्स या प्रॉपर्टी को भी गिरवी रखकर लोन लिया जा सकता है। इन लोन में ब्याज दरें भी तुलनात्मक रूप से कम होती हैं क्योंकि बैंक के लिए जोखिम कम होता है। सिक्योर्ड लोन की राशि आमतौर पर गिरवी रखी गई संपत्ति के मूल्य का 70-90 प्रतिशत तक हो सकती है।

छोटी NBFC कंपनियों से सहायता

नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) खराब सिबिल स्कोर वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प हैं। ये संस्थाएं बैंकों की तुलना में अधिक लचीली नीतियां अपनाती हैं और कम स्ट्रिक्ट क्रेडिट चेकिंग करती हैं। छोटी NBFC कंपनियां विशेष रूप से उन ग्राहकों पर फोकस करती हैं जिन्हें पारंपरिक बैंकों से लोन नहीं मिल पाता। हालांकि, इन संस्थानों से लोन लेते समय ब्याज दरें थोड़ी अधिक हो सकती हैं और प्रोसेसिंग फीस भी ज्यादा लग सकती है। इसके बावजूद, यदि आपको तत्काल धन की आवश्यकता है और बैंक से लोन नहीं मिल रहा, तो NBFC एक व्यावहारिक समाधान हो सकता है।

यह भी पढ़े:
BSNL New Recharge Plan BSNL ने लॉन्च किया 365 दिनों का सस्ता रिचार्ज प्लान, मिलेगा अनलिमिटेड कॉलिंग एवं डाटा। BSNL New Recharge Plan

कम राशि का लोन

खराब सिबिल स्कोर होने पर कम राशि के लिए लोन आवेदन देना एक बुद्धिमानी भरा फैसला हो सकता है। बैंक और फाइनेंशियल संस्थाएं छोटी राशि के लोन के लिए अधिक उदार होती हैं क्योंकि उनका जोखिम कम होता है। 50,000 से 2 लाख रुपये तक के पर्सनल लोन अपेक्षाकृत आसानी से मिल जाते हैं, भले ही आपका सिबिल स्कोर खराब हो। छोटी राशि का लोन लेकर उसे समय पर चुकाने से आपका सिबिल स्कोर भी धीरे-धीरे सुधरने लगता है। इससे भविष्य में बड़े लोन लेने में आसानी होती है और बेहतर ब्याज दरें भी मिल सकती हैं।

स्थिर आय का महत्व

यह भी पढ़े:
Bank Loan Rule होम लोन, पर्सनल लोन लोन वालों के लिए जरूरी खबर, लोन चुकाते समय 5 बातों का जरूर रखें ध्यान Bank Loan Rule

स्थिर आय का प्रमाण खराब सिबिल स्कोर की स्थिति में लोन पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप बैंक को यह दिखा सकते हैं कि आपके पास एक निरंतर और पर्याप्त आय का स्रोत है, तो लोन मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और ITR का होना आवश्यक है। व्यापारियों के लिए बिजनेस टर्नओवर, बैंक स्टेटमेंट और GST रिटर्न महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। एक अच्छी आय न केवल लोन अप्रूवल में मदद करती है बल्कि EMI की राशि तय करने में भी सहायक होती है। आमतौर पर, बैंक चाहते हैं कि आपकी EMI आपकी मासिक आय का 40-50 प्रतिशत से अधिक न हो।

को-साइनर और गारंटर का विकल्प

यदि आपका सिबिल स्कोर खराब है तो को-साइनर या गारंटर का विकल्प अपनाना फायदेमंद हो सकता है। को-साइनर वह व्यक्ति होता है जो आपके साथ लोन एग्रीमेंट पर साइन करता है और लोन की जिम्मेदारी साझा करता है। गारंटर वह होता है जो लोन की गारंटी देता है कि यदि मुख्य आवेदक पेमेंट नहीं कर पाता तो वह चुकाएगा। दोनों ही स्थितियों में, को-साइनर या गारंटर का सिबिल स्कोर अच्छा होना चाहिए। यह व्यवस्था बैंक के लिए जोखिम कम करती है और आपके लिए लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ाती है। हालांकि, इसमें रिश्तों में तनाव की संभावना भी रहती है इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।

यह भी पढ़े:
Property rights दादा की प्रोपर्टी में पोते का कितना होता है अधिकार, जान लें कानून Property rights

डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग

आज के डिजिटल युग में कई ऑनलाइन लेंडिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं जो खराब सिबिल स्कोर वाले लोगों को भी लोन प्रदान करते हैं। ये प्लेटफॉर्म आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके केवल सिबिल स्कोर पर निर्भर न रहकर अन्य कारकों का भी विश्लेषण करते हैं। आपकी शिक्षा, नौकरी का प्रकार, बैंक ट्रांजेक्शन पैटर्न और सोशल मीडिया प्रोफाइल जैसे alternative data का उपयोग करके ये लोन अप्रूवल का फैसला करते हैं। इन प्लेटफॉर्म पर आवेदन प्रक्रिया तेज होती है और कई बार 24-48 घंटों में लोन अप्रूव हो जाता है। हालांकि, ब्याज दरें थोड़ी अधिक हो सकती हैं।

सिबिल स्कोर सुधारने के समानांतर प्रयास

यह भी पढ़े:
Retirement Age केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु में बदलाव पर बड़ा अपडेट, सरकार ने दिया Retirement Age

लोन लेने के साथ-साथ अपने सिबिल स्कोर को सुधारने की दिशा में भी प्रयास करना आवश्यक है। अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की नियमित जांच करें और यदि कोई गलती हो तो उसे तुरंत सुधारवाएं। सभी क्रेडिट कार्ड बिल और EMI का भुगतान समय पर करें। क्रेडिट कार्ड की सीमा का 30 प्रतिशत से अधिक उपयोग न करें। नए क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए बार-बार आवेदन न दें। पुराने क्रेडिट अकाउंट्स को बंद न करें क्योंकि लंबी क्रेडिट हिस्ट्री फायदेमंद होती है। धैर्य रखें क्योंकि सिबिल स्कोर में सुधार होने में 6-12 महीने का समय लग सकता है।

सावधानियां और जोखिम प्रबंधन

खराब सिबिल स्कोर पर लोन लेते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना आवश्यक है। ऊंची ब्याज दरों से बचने के लिए कई संस्थानों से तुलना करें। छुपी हुई फीस और चार्जेस के बारे में पूरी जानकारी लें। लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें और समझें। केवल रजिस्टर्ड और विश्वसनीय संस्थानों से ही लोन लें। किसी भी स्थिति में advance fee देने से बचें। अपनी चुकाने की क्षमता के अनुसार ही लोन लें, अधिक लालच में न आएं। EMI के साथ-साथ अन्य छुपे हुए चार्जेस की भी गणना करें। यदि संभव हो तो जल्दी लोन चुकाने का प्रयास करें ताकि कुल ब्याज कम लगे।

यह भी पढ़े:
Income Tax भारत में इन लोगों को करोड़ों की कमाई पर भी नहीं देना होता एक रुपया भी टैक्स Income Tax

खराब सिबिल स्कोर होना निराशा का कारण नहीं होना चाहिए क्योंकि सही रणनीति और धैर्य के साथ लोन प्राप्त करना संभव है। ज्वाइंट लोन, सिक्योर्ड लोन, छोटी NBFC कंपनियों से सहायता, और डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि लोन लेते समय अपनी वित्तीय क्षमता का सही आकलन करें और केवल उतनी राशि लें जितनी आप आसानी से चुका सकें। साथ ही, अपने सिबिल स्कोर को सुधारने की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहें ताकि भविष्य में बेहतर वित्तीय अवसर प्राप्त हो सकें। याद रखें कि वित्तीय अनुशासन और धैर्य के साथ कोई भी व्यक्ति अपनी क्रेडिट स्थिति में सुधार ला सकता है।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। खराब सिबिल स्कोर पर लोन लेना जोखिम भरा हो सकता है और अधिक ब्याज दरों का कारण बन सकता है। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले, कृपया योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें और सभी नियम व शर्तों को ध्यान से पढ़ें। विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों की नीतियां अलग-अलग हो सकती हैं। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

यह भी पढ़े:
Pension Rule सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा अपडेट, पेंशन कैलकुलेशन के नियमों में बदलाव Pension Rule

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment

Join Whatsapp Group