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भारत में इन लोगों को करोड़ों की कमाई पर भी नहीं देना होता एक रुपया भी टैक्स Income Tax

By Meera Sharma

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Income Tax

Income Tax: भारत में जब भी इनकम टैक्स की बात आती है तो करदाताओं के मन में चिंता की लहर दौड़ जाती है। हर साल 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न भरने की समय सीमा, कटौती की गणना और टैक्स की राशि का भुगतान जैसे कार्य हर कमाने वाले व्यक्ति के लिए तनावपूर्ण होते हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत देश के हर उस नागरिक को टैक्स अदा करना होता है जिसकी आय निर्धारित सीमा से अधिक होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा राज्य है जहां के मूल निवासियों को अपनी आय पर एक रुपया भी इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता, चाहे उनकी कमाई लाखों में हो या करोड़ों में? यह राज्य है सिक्किम, जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता बल्कि इस विशेष कर छूट के लिए भी प्रसिद्ध है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

सिक्किम को यह अनोखी कर छूट का अधिकार इसके भारत में विलय की ऐतिहासिक परिस्थितियों से मिला है। 1975 में जब सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाया गया तो इस विलय में कुछ विशेष शर्तें रखी गई थीं। इन शर्तों में सबसे महत्वपूर्ण यह थी कि सिक्किम अपने पुराने कानूनों और विशेष दर्जे को बनाए रखेगा। भारत सरकार ने इन शर्तों को स्वीकार करते हुए सिक्किम को कई विशेष अधिकार प्रदान किए। इसमें सबसे उल्लेखनीय था इनकम टैक्स से पूर्ण छूट का अधिकार। यह समझौता न केवल राजनीतिक एकीकरण को आसान बनाने के लिए था बल्कि सिक्किम की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान को भी संरक्षित करने के लिए था।

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संवैधानिक सुरक्षा

सिक्किम की इनकम टैक्स छूट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(F) के तहत संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है। यह अनुच्छेद सिक्किम को एक विशेष दर्जा प्रदान करता है जो भारत के किसी अन्य राज्य को प्राप्त नहीं है। इस संवैधानिक प्रावधान के अंतर्गत सिक्किम के निवासियों को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है कर से छूट। यह व्यवस्था भारत की संघीय प्रणाली की लचीलेपन और विविधता को दर्शाती है। संविधान निर्माताओं ने यह समझा था कि विभिन्न क्षेत्रों की विशेष परिस्थितियों के लिए अलग प्रावधान आवश्यक हो सकते हैं, और अनुच्छेद 371(F) इसी सोच का परिणाम है।

आयकर अधिनियम की धारा 10(26AAA)

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सिक्किम के निवासियों को मिलने वाली इनकम टैक्स छूट का कानूनी आधार आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(26AAA) है। इस धारा के अनुसार सिक्किम के किसी भी मूल निवासी की आय, चाहे वह किसी भी स्रोत से हो, पूर्णतः कर मुक्त है। इसमें वेतन, व्यापार से लाभ, शेयर या बॉन्ड से मिलने वाला ब्याज, कंपनियों से मिलने वाला लाभांश और अन्य सभी प्रकार की आय शामिल है। यह धारा इतनी व्यापक है कि इसमें आय की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इसका अर्थ यह है कि चाहे कोई व्यक्ति एक लाख रुपये कमाए या एक करोड़ रुपये, उसे एक रुपया भी इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

कौन हैं इस छूट के हकदार

सिक्किम में इनकम टैक्स छूट का लाभ उठाने के लिए मूल निवासी होना आवश्यक है, लेकिन यह परिभाषा काफी व्यापक है। इसमें वे सभी लोग शामिल हैं जो 26 अप्रैल 1975 (सिक्किम के भारत में विलय की तारीख) से पहले सिक्किम में बसे हुए थे या जिनके पूर्वज वहां रहते थे। “Sikkim Subjects Regulations, 1961” के रजिस्टर में नाम दर्ज लोगों को स्वतः यह छूट मिलती है। इसके अलावा वे लोग भी इस छूट के हकदार हैं जो विलय से पहले सिक्किम के निवासी थे, भले ही उनका नाम इस रजिस्टर में दर्ज न हो। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई निर्णयों में इस छूट के दायरे को स्पष्ट किया है और मूल निवासियों के अधिकारों की पुष्टि की है।

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आर्थिक प्रभाव

सिक्किम की इनकम टैक्स छूट का आर्थिक प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है। यह छूट विशेष रूप से उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। उदाहरण के लिए, यदि किसी सिक्किम निवासी की वार्षिक आय 50 लाख रुपये है, तो सामान्य स्थिति में उसे लगभग 12-15 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता, लेकिन सिक्किम में वह पूरी तरह कर मुक्त है। यह बचत न केवल व्यक्तिगत संपत्ति में वृद्धि करती है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती है। इससे सिक्किम के निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ती है और वे अधिक निवेश कर सकते हैं। हालांकि, यह छूट केवल व्यक्तिगत आयकर पर लागू होती है, अन्य कर जैसे GST, कस्टम ड्यूटी आदि सामान्य दरों पर ही लगते हैं।

निवेश और व्यापार पर प्रभाव

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सिक्किम की कर मुक्त स्थिति ने राज्य को निवेश और व्यापार के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है। हालांकि यह छूट केवल मूल निवासियों को मिलती है, फिर भी कई उद्यमी और व्यापारी सिक्किम में अपना व्यापार स्थापित करने की सोचते हैं। राज्य सरकार भी इस विशेष स्थिति का लाभ उठाकर निवेश को आकर्षित करने की कोशिश करती है। पर्यटन उद्योग, कृषि आधारित व्यापार और छोटे उद्योगों के विकास में यह कर छूट एक महत्वपूर्ण कारक है। कई स्थानीय उद्यमी इस लाभ का उपयोग करके अपने व्यापार का विस्तार कर रहे हैं और नई योजनाओं में निवेश कर रहे हैं। यह राज्य की समग्र आर्थिक विकास दर को बढ़ाने में सहायक है।

न्यायालयी समर्थन और कानूनी स्थिति

समय-समय पर सिक्किम की कर छूट को लेकर कानूनी चुनौतियां भी आती रही हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में इस छूट की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि संविधान के अनुच्छेद 371(F) के तहत दिया गया यह विशेष दर्जा पूर्णतः वैध है और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। न्यायपालिका ने यह भी कहा है कि यह व्यवस्था भारत की “विविधता में एकता” की भावना को दर्शाती है। कई मामलों में न्यायालय ने मूल निवासी की परिभाषा को और स्पष्ट किया है और यह सुनिश्चित किया है कि वास्तविक हकदार लोगों को इस छूट का लाभ मिले। इससे सिक्किम के निवासियों को अपने अधिकारों की मजबूत कानूनी सुरक्षा मिलती है।

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अन्य राज्यों के साथ तुलना और विशिष्टता

भारत में कई राज्यों को विभिन्न प्रकार के विशेष दर्जे प्राप्त हैं, लेकिन सिक्किम की तरह पूर्ण इनकम टैक्स छूट किसी अन्य राज्य को नहीं मिली है। जम्मू-कश्मीर (अब दो केंद्र शासित प्रदेश), नागालैंड, मिजोरम जैसे राज्यों को भी विशेष प्रावधान प्राप्त हैं, लेकिन वे मुख्यतः भूमि अधिकार, स्थानीय कानून और शासन व्यवस्था से संबंधित हैं। सिक्किम की इनकम टैक्स छूट इस मामले में अनूठी और विशिष्ट है। यह दिखाता है कि भारतीय संविधान कितना लचीला है और विभिन्न राज्यों की विशेष परिस्थितियों को कैसे समायोजित करता है। यह भारत की संघीय व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण है कि विविधता के बावजूद एकता बनी रहती है।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

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सिक्किम की कर छूट व्यवस्था भविष्य में भी जारी रहने की प्रबल संभावना है क्योंकि यह मजबूत संवैधानिक आधार पर टिकी है। हालांकि, बदलते समय के साथ इस व्यवस्था की समीक्षा की मांग भी उठती रहती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस छूट की वजह से केंद्र सरकार को राजस्व की हानि होती है और यह अन्य राज्यों के साथ असमानता पैदा करती है। वहीं दूसरी ओर, सिक्किम के नेता और निवासी इसे अपना वैध अधिकार मानते हैं जो ऐतिहासिक समझौते पर आधारित है। संभावना है कि भविष्य में इस मुद्दे पर और व्यापक बहस हो सकती है, लेकिन संवैधानिक सुरक्षा के कारण इस छूट को समाप्त करना आसान नहीं होगा।

राष्ट्रीय एकता में विविधता का प्रतीक

सिक्किम की इनकम टैक्स छूट व्यवस्था भारत की “विविधता में एकता” की भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दिखाता है कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय एकता बनाई रख सकते हैं। इस व्यवस्था से सिक्किम के लोगों को न केवल आर्थिक लाभ मिलता है बल्कि उन्हें यह एहसास भी होता है कि उनकी विशेष पहचान का सम्मान किया जा रहा है। यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता को भी दर्शाता है कि वह अपने भीतर इतनी विविधता को समेटे रख सकता है। सिक्किम की यह विशेषता देश की संघीय संरचना की मजबूती का प्रमाण है और यह दिखाता है कि भारत एक राष्ट्र के रूप में अपनी सभी इकाइयों की विशिष्टता को संजोकर रख सकता है।

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सिक्किम की इनकम टैक्स छूट व्यवस्था भारतीय संविधान और न्यायिक प्रणाली की एक अनूठी विशेषता है। यह दिखाती है कि कैसे ऐतिहासिक समझौतों और संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से विशेष परिस्थितियों का समाधान किया जा सकता है। जबकि पूरा देश इनकम टैक्स के दबाव में रहता है, सिक्किम के निवासी इस चिंता से मुक्त रहकर अपने आर्थिक विकास पर ध्यान दे सकते हैं। यह व्यवस्था न केवल सिक्किम के लोगों के लिए फायदेमंद है बल्कि यह भारतीय संविधान की लचीलता और समावेशिता को भी दर्शाती है। भविष्य में भी यह व्यवस्था सिक्किम की विशेष पहचान बनी रहने की पूरी संभावना है, जो इस छोटे से राज्य को देश में एक अलग और विशिष्ट स्थान दिलाती रहेगी।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। सिक्किम की इनकम टैक्स छूट से संबंधित नियम और शर्तें जटिल हैं और समय-समय पर इनमें बदलाव हो सकते हैं। मूल निवासी की परिभाषा और पात्रता की शर्तों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें या योग्य कर सलाहकार से परामर्श करें। किसी भी कर संबंधी निर्णय लेने से पहले वर्तमान कानूनी स्थिति की पुष्टि करना आवश्यक है। यह लेख किसी भी प्रकार की कानूनी या वित्तीय सलाह नहीं है। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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