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सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, 20 साल बाद फिर से लागू होगी पुरानी पेंशन योजना! OPS Scheme

By Meera Sharma

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OPS Scheme

OPS Scheme: सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन व्यवस्था उनके भविष्य की सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 1 अप्रैल 2004 से केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को समाप्त करके नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू कर दी थी। तब से लेकर अब तक सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं। अब इस संबंध में कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है कि सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने पर विचार शुरू कर दिया है। यह कदम लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।

लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शनों और कर्मचारी संगठनों के लगातार दबाव के बाद, अब केंद्र और राज्य सरकारों ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प दिया जाए, जिससे वे अपने सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा को बेहतर बना सकें।

पुरानी और नई पेंशन योजना में क्या है अंतर?

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पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत, सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद उसके अंतिम मूल वेतन का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता था। इसके अलावा, कर्मचारी के निधन के बाद उसके आश्रित परिवार के सदस्यों को भी पारिवारिक पेंशन मिलती थी। यह व्यवस्था कर्मचारियों को बिना किसी निवेश के सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती थी, जिससे वे बिना चिंता के अपना जीवन व्यतीत कर सकते थे।

इसके विपरीत, नई पेंशन योजना एक अंशदायी व्यवस्था है, जिसमें कर्मचारी के वेतन से 10% राशि और उतनी ही राशि सरकार द्वारा नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जमा की जाती है। यह पूरी राशि बाजार में निवेश की जाती है, और सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को निवेशित राशि और उस पर मिले रिटर्न के आधार पर पेंशन मिलती है। इस व्यवस्था में पेंशन की राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है, जिससे कर्मचारियों को भविष्य की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।

कर्मचारी संगठनों की पुरानी पेंशन के लिए लगातार मांग

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उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिखकर पुरानी पेंशन के विकल्प को खोलने की मांग की है। 12 मार्च 2022, 8 अप्रैल 2023, 24 अप्रैल 2023 और 11 जुलाई 2023 को उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कर्मचारियों को नई पेंशन व्यवस्था से पुरानी पेंशन व्यवस्था में जाने का विकल्प देने की मांग की।

कर्मचारी संगठनों का मानना है कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों के हितों की रक्षा नहीं करती है। वे तर्क देते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन की राशि अनिश्चित होने के कारण, कर्मचारियों को अपने बुढ़ापे में आर्थिक असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, नई पेंशन योजना में आश्रित परिवार के सदस्यों को मिलने वाली पेंशन के प्रावधान भी पुरानी पेंशन योजना के मुकाबले कम सुरक्षित हैं।

कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन को फिर से अपनाया

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कर्मचारियों के लगातार विरोध को देखते हुए, कुछ राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है। हालांकि, इन राज्यों में भी तकनीकी समस्याएं बनी हुई हैं। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन अपनाई है, उन राज्यों के कर्मचारियों का एनपीएस के अंतर्गत जमा किया गया अंशदान अभी भी वापस नहीं मिला है।

इसके बावजूद, इन राज्यों के कदम से अन्य राज्यों के कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है कि उनकी सरकारें भी इसी तरह का निर्णय ले सकती हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और जहां लाखों सरकारी कर्मचारी हैं, में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यदि उत्तर प्रदेश भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का निर्णय लेता है, तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रुख

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जेएन तिवारी ने इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी बात की है। 26 अगस्त को हुई इस बातचीत में मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक समिति का गठन किया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई की जाएगी। यह संकेत है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपना सकती है।

मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार की समिति भी पुरानी पेंशन योजना के समर्थन में है। ऐसी स्थिति में यह संभावना बढ़ जाती है कि कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प मिल सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत होगी, जो लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।

कर्मचारियों को विकल्प देने की मांग

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कर्मचारी संगठनों की मुख्य मांग है कि सरकार उन्हें नई पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना के बीच चुनाव करने का विकल्प दे। उनका तर्क है कि जिस तरह से सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प दिया है, उसी तरह सरकारी कर्मचारियों को भी दोनों योजनाओं में से किसी एक को चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।

जेएन तिवारी के अनुसार, 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प दिया था। लेकिन उनका मानना है कि यह विकल्प सभी कर्मचारियों के लिए खुला होना चाहिए, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने यह विकल्प नहीं दिया, तो इसका असर आने वाले राज्य और लोकसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।

चुनौतियां और संभावित समाधान

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हालांकि, पुरानी पेंशन योजना की बहाली में कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय है। पुरानी पेंशन योजना के तहत, सरकार को भविष्य में बड़ी राशि पेंशन के रूप में देनी होगी, जिससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। इसके अलावा, नई पेंशन योजना को व्यापक रूप से लागू किया गया है और इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। ऐसे में सरकार के लिए इस योजना को पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल हो सकता है।

एक संभावित समाधान यह हो सकता है कि सरकार कर्मचारियों को दोनों योजनाओं के बीच चुनाव करने का विकल्प दे। इससे वे कर्मचारी जो नई पेंशन योजना से संतुष्ट हैं, उसमें बने रह सकते हैं, जबकि जो पुरानी पेंशन योजना चाहते हैं, वे उसे चुन सकते हैं। इस तरह से दोनों पक्षों के हितों की रक्षा हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएं

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केंद्र सरकार की समिति की सिफारिशें और राज्य सरकारों का रुख आने वाले दिनों में इस मुद्दे के भविष्य को तय करेगा। अगर सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने या कर्मचारियों को विकल्प देने का निर्णय लेती है, तो यह लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत होगी। यह न केवल उनके वर्तमान कार्यकाल में उनके मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा का भी आश्वासन देगा।

हालांकि, इस निर्णय का वित्तीय प्रभाव भी गंभीरता से विचार करने योग्य है। सरकार को एक ऐसा समाधान ढूंढना होगा जो कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हुए भी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करे। यह एक संतुलित दृष्टिकोण होगा जो देश के भविष्य के लिए सबसे अच्छा होगा।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा सरकारी कर्मचारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल उनके वित्तीय भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि उनके परिवार की सुरक्षा से भी जुड़ा है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, और उम्मीद है कि जल्द ही इस संबंध में कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।

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कर्मचारी संगठनों का लगातार प्रयास और कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के निर्णय ने इस मुद्दे को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार की समिति क्या सिफारिशें करती है और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें इस पर कैसी प्रतिक्रिया देती हैं। लाखों सरकारी कर्मचारियों की नजरें इस निर्णय पर टिकी हुई हैं, जो उनके सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन को प्रभावित करेगा।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई है। पुरानी पेंशन योजना की बहाली के संबंध में अंतिम निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा, और वास्तविक परिणाम इस लेख में प्रस्तुत अनुमानों से भिन्न हो सकते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले सरकारी अधिसूचनाओं और आधिकारिक घोषणाओं का संदर्भ लें। लेखक और प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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