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पति पत्नी में ऐसे होता है संपत्ति का बंटवारा Property News

By Meera Sharma

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Property News: तलाक सिर्फ पति-पत्नी के बीच रिश्ते का टूटना नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव दो परिवारों और विशेषकर मासूम बच्चों पर पड़ता है। जब एक दंपति अलग होने का फैसला करते हैं, तो उनके सामने कई वित्तीय और भावनात्मक चुनौतियां आती हैं। इनमें संपत्ति का बंटवारा एक महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा होता है। अधिकांश लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि तलाक के बाद संपत्ति का विभाजन किस आधार पर होता है और इसमें किन कानूनी पहलुओं का ध्यान रखना आवश्यक है। यह लेख तलाक के पश्चात संपत्ति के बंटवारे से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालेगा।

तलाक के समय संपत्ति के अधिकार

तलाक के मामलों में अक्सर महिलाओं के अधिकारों की चर्चा होती है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि पुरुषों के भी कुछ निश्चित अधिकार होते हैं। समाज में यह आम धारणा है कि तलाक के बाद पुरुष को अपनी अधिकांश संपत्ति से हाथ धोना पड़ता है, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है। कानून पुरुषों को भी कुछ संरक्षण प्रदान करता है, विशेष रूप से उनकी निजी और पैतृक संपत्ति के संदर्भ में। यह जानना महत्वपूर्ण है कि संपत्ति का विभाजन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे संपत्ति की प्रकृति, उसके अर्जन का समय और उसमें दोनों पक्षों का योगदान।

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व्यक्तिगत और उपहार में मिली संपत्ति

शादी से पहले, शादी के दौरान या शादी के बाद यदि पत्नी के माता-पिता द्वारा पति को कोई उपहार दिया गया है, तो वह पति की व्यक्तिगत संपत्ति मानी जाती है। तलाक के बाद भी इस प्रकार की संपत्ति पर पति का पूर्ण अधिकार रहता है। इसी प्रकार, यदि शादी के दौरान पति ने अपनी पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति खरीदी है, लेकिन उसे औपचारिक रूप से उपहार के रूप में नहीं दिया है, तो उस संपत्ति पर पत्नी का अधिकार नहीं होता है। कानूनी दृष्टिकोण से, ऐसी संपत्ति पति की ही मानी जाती है, भले ही वह पत्नी के नाम पर हो।

संयुक्त रूप से खरीदी गई संपत्ति का विभाजन

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अगर पति-पत्नी ने संयुक्त रूप से कोई संपत्ति खरीदी है, लेकिन इसके लिए वित्तीय निवेश केवल पति ने किया है, तो तलाक की स्थिति में इस संपत्ति की कुल मूल्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर पति का दावा अधिक मजबूत माना जाता है। इसी प्रकार, यदि दोनों ने मिलकर किसी संपत्ति पर ऋण लिया है, तो तलाक के मामले में उस संपत्ति का विभाजन उस अनुपात में किया जाता है, जिसमें पति-पत्नी ने आर्थिक रूप से योगदान दिया है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि संपत्ति के विभाजन में न्यायालय दोनों पक्षों के वित्तीय योगदान को ध्यान में रखता है।

पत्नी द्वारा स्वयं खरीदी गई संपत्ति

यदि पत्नी ने अपनी आय से किसी संपत्ति को खरीदा है, तो उस संपत्ति पर उसका पूर्ण अधिकार होता है। हालांकि, यदि उस संपत्ति को खरीदने में पति का भी वित्तीय योगदान रहा है, तो पत्नी उस संपत्ति पर पूर्ण रूप से दावा नहीं कर सकती है। ऐसी स्थिति में, न्यायालय दोनों के वित्तीय योगदान के आधार पर संपत्ति का विभाजन करता है। इसी तरह, अगर पत्नी ने स्वयं कोई व्यवसाय शुरू किया है और उसमें पति का कोई योगदान नहीं है, तो उस व्यवसाय और उससे प्राप्त आय पर तलाक के बाद भी पत्नी का ही अधिकार रहता है।

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पैतृक संपत्ति पर अधिकार की स्थिति

एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि पति की पैतृक संपत्ति पर पत्नी का कोई कानूनी दावा नहीं होता है। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पति को उसके पिता, दादा या अन्य पुरखों से विरासत में मिली है। तलाक के बाद भी यह संपत्ति पति की ही रहती है और पत्नी का इस पर कोई अधिकार नहीं होता। हालांकि, यदि पति ने अपनी पैतृक संपत्ति का एक हिस्सा अपनी पत्नी के नाम पर स्थानांतरित किया है या उपहार के रूप में दिया है, तो वह हिस्सा पत्नी की संपत्ति माना जाएगा।

तलाक के प्रकार और संपत्ति विभाजन

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तलाक के प्रकार का भी संपत्ति विभाजन पर प्रभाव पड़ता है। आपसी सहमति से तलाक (म्यूचुअल कंसेंट डिवोर्स) के मामले में, पति-पत्नी संपत्ति के विभाजन पर स्वयं सहमत हो सकते हैं और इसे अदालत में प्रस्तुत कर सकते हैं। हालांकि, विवादित तलाक के मामले में, न्यायालय विभिन्न कारकों को ध्यान में रखकर संपत्ति का विभाजन करता है। इनमें शादी की अवधि, दोनों पक्षों की आय, उनके वित्तीय योगदान और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी जैसे बिंदु शामिल हैं।

धार्मिक कानून और संपत्ति विभाजन

भारत में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं, जो तलाक के बाद संपत्ति विभाजन को प्रभावित करते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, पत्नी को पति की संपत्ति का एक उचित हिस्सा प्राप्त हो सकता है। मुस्लिम व्यक्तिगत कानून के अनुसार, पत्नी को मेहर और गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) मिलता है। क्रिश्चियन और पारसी धर्म के अनुयायियों के लिए भी अलग-अलग प्रावधान हैं। इसलिए, तलाक के समय संपत्ति के विभाजन में धार्मिक कानून भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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बच्चों के अधिकार और संपत्ति विभाजन

तलाक के मामले में बच्चों के हितों को सर्वोपरि माना जाता है। न्यायालय अक्सर बच्चों के भविष्य और उनकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए संपत्ति का विभाजन करता है। कई मामलों में, बच्चों के नाम पर संपत्ति रखी जाती है या उनके लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाता है। इसके अलावा, जिस पक्ष को बच्चों की कस्टडी मिलती है, उसे अक्सर रहने के लिए घर या अन्य वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, भले ही संपत्ति का स्वामित्व किसी भी पक्ष के पास हो।

कानूनी सलाह की महत्वपूर्णता

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तलाक के दौरान संपत्ति के विभाजन में कई जटिलताएं हो सकती हैं, इसलिए एक योग्य वकील से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक अनुभवी वकील न केवल आपके अधिकारों के बारे में आपको सूचित करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी कानूनी प्रक्रियाएं सही तरीके से पूरी हों। वकील के माध्यम से आप अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं और एक न्यायसंगत समझौते तक पहुंच सकते हैं। याद रखें, तलाक एक भावनात्मक समय होता है, और इस दौरान सोच-समझकर निर्णय लेना आवश्यक है।

संपत्ति विभाजन में मध्यस्थता का विकल्प

कई दंपति तलाक के दौरान संपत्ति विभाजन के लिए मध्यस्थता का विकल्प चुनते हैं। मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक तटस्थ तीसरे पक्ष की मदद से पति-पत्नी अपने मतभेदों को सुलझाते हैं। यह विकल्प अक्सर कम विवादास्पद, कम खर्चीला और कम समय लेने वाला होता है। मध्यस्थता के माध्यम से, दोनों पक्ष अपनी इच्छाओं और जरूरतों को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं और एक ऐसा समझौता तैयार कर सकते हैं जो दोनों के लिए स्वीकार्य हो।

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तलाक के बाद संपत्ति का बंटवारा एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई कानूनी और वित्तीय पहलू शामिल हैं। इसलिए, इस संबंध में जागरूक रहना और सही कानूनी सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने अधिकारों और दायित्वों को समझकर, आप एक न्यायसंगत और संतुष्टिदायक समझौते तक पहुंच सकते हैं। याद रखें, तलाक एक नए जीवन की शुरुआत भी है, इसलिए संपत्ति विभाजन में सावधानी बरतें और भविष्य की योजना बनाएं। अंततः, संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका आपसी सहमति और समझौता है, जो दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता हो।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। तलाक और संपत्ति विभाजन से संबंधित मामले व्यक्तिगत परिस्थितियों और लागू कानूनों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, अपने विशिष्ट मामले के लिए हमेशा एक योग्य वकील से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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