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क्या दूसरी पत्नी मांग सकती है पति की प्रोपर्टी में हिस्सा, जानिये कानूनी प्रावधान wife property rights

By Meera Sharma

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wife property rights

wife property rights: संपत्ति अधिकारों को लेकर अक्सर कई प्रश्न उठते हैं, विशेष रूप से वैवाहिक संबंधों में। जहां अधिकतर लोग पहली पत्नी के अधिकारों के बारे में जानकारी रखते हैं, वहीं दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकारों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। आइए जानते हैं कि कानून इस विषय पर क्या कहता है और किन परिस्थितियों में दूसरी पत्नी पति की संपत्ति पर अपना अधिकार जता सकती है।

दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकारों की शर्तें

दूसरी पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण शर्तों पर निर्भर करता है। पहली शर्त यह है कि दूसरी शादी कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए। दूसरी शर्त यह है कि धार्मिक आधार पर लागू होने वाले नियम और कानून भी इस अधिकार को प्रभावित करते हैं। इन दोनों शर्तों के पूरा होने पर ही दूसरी पत्नी पति की संपत्ति में अपना अधिकार जता सकती है।

दूसरी शादी की वैधता

हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, दूसरी शादी वैध तभी मानी जाती है जब विवाह के समय दोनों पक्षों के पूर्व जीवनसाथी जीवित न हों या उनका तलाक हो चुका हो। अगर पहली पत्नी जीवित है और तलाक नहीं हुआ है, तो दूसरी शादी कानूनी रूप से अवैध होगी। ऐसी स्थिति में, दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा। इसलिए दूसरी शादी की वैधता सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

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स्वअर्जित संपत्ति में अधिकार

पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति अर्थात खुद की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति के संबंध में सभी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होता है। वह इस संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को दे सकता है, चाहे वह उसकी दूसरी पत्नी ही क्यों न हो। वसीयत के माध्यम से, पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति को अपनी इच्छानुसार बांट सकता है। यहां तक कि अगर शादी वैध नहीं है, तब भी पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति वसीयत के जरिए दूसरी पत्नी को दे सकता है।

पैतृक संपत्ति में अधिकार

पैतृक संपत्ति के मामले में, स्थिति थोड़ी अलग होती है। दूसरी पत्नी पति की पैतृक संपत्ति पर तभी दावा कर सकती है जब उसकी शादी कानूनी रूप से वैध हो। अगर शादी अवैध है, तो दूसरी पत्नी पैतृक संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती। इसलिए, पैतृक संपत्ति के मामले में दूसरी पत्नी के अधिकार सीधे शादी की वैधता से जुड़े हुए हैं।

बिना वसीयत स्वअर्जित संपत्ति का बंटवारा

अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत बनाए मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी स्वअर्जित संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार उसके कानूनी उत्तराधिकारियों में बंटती है। इस स्थिति में, दूसरी पत्नी को कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में तभी माना जाएगा जब उसकी शादी वैध हो। अवैध शादी की स्थिति में, दूसरी पत्नी को कानूनी उत्तराधिकारी नहीं माना जाएगा और वह बिना वसीयत के संपत्ति में हिस्सा नहीं पा सकती।

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पहली पत्नी के अधिकारों की तुलना

कानूनी रूप से, अगर दूसरी शादी वैध है, तो दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के बराबर अधिकार मिलते हैं। दोनों पत्नियों को पति की संपत्ति में समान हिस्सा मिलेगा। हालांकि, अगर दूसरी शादी अवैध है, तो पहली पत्नी के पास ही सभी कानूनी अधिकार रहेंगे और दूसरी पत्नी को कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा।

संक्षेप में, दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकार उसकी शादी की वैधता पर निर्भर करते हैं। अगर शादी कानूनी रूप से वैध है, तो दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के समान अधिकार मिलते हैं। लेकिन अगर शादी अवैध है, तो दूसरी पत्नी को कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा, सिवाय उन संपत्तियों के जिन्हें पति ने वसीयत के माध्यम से उसे दिया हो। इसलिए, संपत्ति अधिकारों के मामले में शादी की वैधता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी कानूनी मामले में, कृपया योग्य वकील से परामर्श करें।

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Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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